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कोई दुश्मन कोई हमदम भी नहीं साथ अपने - सुलैमान अरीब कविता - Darsaal

कोई दुश्मन कोई हमदम भी नहीं साथ अपने

कोई दुश्मन कोई हमदम भी नहीं साथ अपने

तू नहीं है तो दो-आलम भी नहीं साथ अपने

साथ कुछ दूर तिरे हम भी गए थे लेकिन

अब कहाँ जाएँ कि ख़ुद हम भी नहीं साथ अपने

वो भी इक वक़्त तक ख़ुर्शीद-ब-कफ़ फिरते थे

ये भी इक वक़्त है शबनम भी नहीं साथ अपने

नाख़ुन-ए-वक़्त ने कब ज़ख़्म को दहकाया है

ऐसे इक वक़्त कि मरहम भी नहीं साथ अपने

सामने कितनी सलीबें हैं पए बे-गुनही

आज लख़्त-ए-दिल-ए-मर्यम भी नहीं साथ अपने

पी के सोचा कि ख़रीदेंगे ग़म-ए-दुनिया भी

तय हुए दाम तो दिरहम भी नहीं साथ अपने

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In Hindi By Famous Poet Sulaiman Areeb. is written by Sulaiman Areeb. Complete Poem in Hindi by Sulaiman Areeb. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.