नंग-ए-एहसास है अंदोह-ए-ग़रीब-उल-वतनी

नंग-ए-एहसास है अंदोह-ए-ग़रीब-उल-वतनी

कम नहीं गर्द-ए-रह-ए-शौक़ की साया-फ़गनी

आदमी होता है ख़ुद अपने ही तेशे का शिकार

कोई आसान नहीं मश्ग़ला-ए-कोह-कनी

परतव-ए-रुख़ से तिरे किस को नहीं हैरानी

अश्क-आईना हुई है तिरी सीमीं-बदनी

सुंबुलिस्ताँ हैं तिरे गेसू-ए-पुर-ख़म के असीर

हुस्न-ए-क़ामत है तिरा नाज़िश-ए-सर्व-ए-चमनी

अपने जामे में समाती नहीं फूलों की बहार

दिल में काँटों के खटकती है ये गुल-पैरहनी

देख मेरी निगह-ए-शौक़ की मंज़र-ताबी

महव-ए-हैरत है तिरे हुस्न की आईना-तनी

क्या कोई गोश-बर-आवाज़ हुआ है 'आसिफ़'

लब-कुशाई पे है मजबूर मिरी कम-सुख़नी

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In Hindi By Famous Poet Sulaiman Aasif. is written by Sulaiman Aasif. Complete Poem in Hindi by Sulaiman Aasif. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.