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कहाँ तेवर हैं उन में अब वो कल के - सुहैल काकोरवी कविता - Darsaal

कहाँ तेवर हैं उन में अब वो कल के

कहाँ तेवर हैं उन में अब वो कल के

हवा चलने लगी है रुख़ बदल के

जुदाई की घड़ी है दुश्मन-ए-दिल

बला है ये नहीं टलती है टल के

अदा उन की मज़ा देती है हम को

मज़ा आता है उन को दिल मसल के

पहेली बन के वो ओझल हुआ है

किए हैं बंद दर सब उस ने जल के

वफ़ा के फूल तब समझो खिलेंगे

जो आएगा कोई काँटों पे चल के

वो कर देते हैं ना-मुम्किन को मुमकिन

मिरी आग़ोश में अक्सर मचल के

नज़र के तीर नाज़ुक हैं तुम्हारे

जभी पुर-लुत्फ़ हैं ये वार हल्के

'सुहैल' इस दिल की हालत और मोहब्बत

बहा आँखों से वो पत्थर पिघल के

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In Hindi By Famous Poet Suhail Kakorvi. is written by Suhail Kakorvi. Complete Poem in Hindi by Suhail Kakorvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.