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बरसों हुए उस से न कोई बात हुई रात - सुहैल काकोरवी कविता - Darsaal

बरसों हुए उस से न कोई बात हुई रात

बरसों हुए उस से न कोई बात हुई रात

तू ने भी न की अपनी कोई जादूगरी रात

गुम हो गई उम्मीद-ए-मुलाक़ात सहर में

ये तू ने मिरे साथ अजब चाल चली रात

वो ले गया साथ अपने उजाले मिरे दिल के

काटे न कटी हम से जो थी दर्द-भरी रात

अश्कों से कहा मैं ने जुदाई का फ़साना

इस पर ये कहा उस ने कि आएगी नई रात

शिकवे मिरे और उस का बताना इसे इल्ज़ाम

कुछ तय न हुआ और यूँही बीत गई रात

जो मेरे तसव्वुर में था हँगामा-ए-महशर

उस के लिए मख़्सूस हुई वस्ल की ही रात

इस में ही तो है चाँद सितारों का मुक़द्दर

इक ख़ाल-ए-सियह-ताब की है जल्वागरी रात

जिस रात कभी कोई मेरे साथ रहा था

आ जाए 'सुहैल' आज दुआ है की वही रात

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In Hindi By Famous Poet Suhail Kakorvi. is written by Suhail Kakorvi. Complete Poem in Hindi by Suhail Kakorvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.