सुहैल अख़्तर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सुहैल अख़्तर
नाम | सुहैल अख़्तर |
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अंग्रेज़ी नाम | Suhail Akhtar |
ज़िंदगी जिस ने तल्ख़ की मेरी
पहाड़ जैसे दिनों को तो काट लूँ लेकिन
ज़रूरी कब है कि हर काम इख़्तियारी करें
ये राज़ उस ने छुपाया है ख़ुश-बयानी से
सिर्फ़ थोड़ी सी है अना मुझ में
कि ख़ुद-नुमाई न तश्हीर चाहते हैं हम
ख़िज़ाँ की आज़माइश हो गया हूँ
जन्नत से निकाला न जहन्नुम से निकाला
जब कोई आलम-ए-शुहूद न था
इस ज़मीन ओ आसमाँ पर ख़ाक डाल
इन दिनों तेज़ बहुत तेज़ है धारा मेरा
हमारे जैसे ही लोगों से शहर भर गए हैं
दस्त-बरदार हुआ मैं भी तलबगारी से