जो कुछ हुआ सो हुआ अब सवाल ही क्या है
जो कुछ हुआ सो हुआ अब सवाल ही क्या है
बयान हाल करूँ मुझ में हाल ही क्या है
कुछ और चाहती है उन से शोरिश-ए-उल्फ़त
हुआ ख़याल तो ऐसा ख़याल ही क्या है
ज़माना चाहिए वो ए'तिराफ़-ए-शौक़ करें
अभी ये रोज़ ओ शब ओ माह ओ साल ही क्या है
किसी ख़याल में बस ज़िंदगी गुज़र जाए
ग़म-ए-फ़िराक़ ओ उम्मीद-ए-विसाल ही क्या है
बुरा किया न करेंगे कभी सितम का गिला
हुज़ूर दूर ही कर दें मलाल ही क्या है
क़रार दिल को मयस्सर नहीं कहीं जाओ
नज़र-फ़रेबी-ए-हुस्न-ओ-जमाल ही क्या है
वो सामने हैं मगर हुस्न इस को कहते हैं
कोई नज़र तो उठाए मजाल ही क्या है
बड़ा कमाल किया भी तो छू लिया दामन
दराज़-दस्ती-ए-दस्त-ए-सवाल ही क्या है
हुए वो हम से पशीमाँ 'सुहा' करम उन का
वगरना आरज़ू-ए-पाएमाल ही क्या है
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