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दीद का इसरार मूसा लन-तरानी कोह-ए-तूर - सुग़रा आलम कविता - Darsaal

दीद का इसरार मूसा लन-तरानी कोह-ए-तूर

दीद का इसरार मूसा लन-तरानी कोह-ए-तूर

हम ने आँखें बंद कीं और आ गए तेरे हुज़ूर

अब हिनाई दस्त की होंगी इजारा-दारियाँ

आँख में शबनम जबीं के नूर में रंग-ए-शुऊर

बात करना मौसम-ए-बरसात की पहली झड़ी

मुस्कुरा के देखना क़ौस-ए-क़ुज़ह का है ज़ुहूर

फूल बस्ती में चलें हम-जोलियों का साथ है

शहरों शहरों बढ़ गया है संग-ज़ादों का फ़ुतूर

पेश-ए-ख़िदमत है ये अपनी बात अपना इद्दआ

देखना हर्फ़-ए-सुख़न पर किस को हासिल है फ़ुतूर

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In Hindi By Famous Poet Sughra Alam. is written by Sughra Alam. Complete Poem in Hindi by Sughra Alam. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.