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रात दिन - सूफ़ी तबस्सुम कविता - Darsaal

रात दिन

कैसे अल्लाह ने बनाए रात दिन

कैसी हिकमत से सजाए रात दिन

सुब्ह आई तो उजाला आ गया

शाम आई तो अंधेर छा गया

दिन हुआ तो लोग सारे जाग उठे

रात आई चाँद तारे जाग उठे

दिन बना है काम करने के लिए

रात है आराम करने के लिए

कोई हो इंसान या हैवान हो

जानवर हो या कोई बे-जान हो

रात उन के ढंग ही कुछ और हैं

रात उन के और ही कुछ तौर हैं

दिन हुआ सब काम करने लग गए

शब हुई आराम करने लग गए

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