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चूहा - सूफ़ी तबस्सुम कविता - Darsaal

चूहा

है मिरे पास इक मिरा चूहा

ख़ूबसूरत सा दिल-रुबा चूहा

दुम भी चूहे की सर भी चूहे का

है मिरा चूहा बस निरा चूहा

बिल्ली को भी सबक़ पढ़ाता है

है बहुत ही पढ़ा-लिखा चूहा

मेरे चूहे को कोई कुछ न कहे

मिरा चूहा है लाडला चूहा

सो गया देख कर वो बिल्ली को

लोग समझे कि मर गया चूहा

हरकतें उस की सब दिलेरों की

काम का शेर नाम का चूहा

दो ही चूहे हैं सारी दुनिया में

इक मिरा चूहा इक तिरा चूहा

चूहा देखा तो रो पड़ी बिल्ली

बिल्ली देखी तो हँस दिया चूहा

बात इक भी सुनी न बिल्ली ने

उम्र भर चीख़ता रहा चूहा

जितने चूहे हैं मेरे चूहे हैं

ये मिरा चूहा वो मिरा चूहा

तेरे चूहे को खा गई बिल्ली

मेरी बिल्ली को खा गया चूहा

कल लड़ाई हुई थी दोनों में

मर गई बिल्ली बच गया चूहा

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Chuha In Hindi By Famous Poet Sufi Tabassum. Chuha is written by Sufi Tabassum. Complete Poem Chuha in Hindi by Sufi Tabassum. Download free Chuha Poem for Youth in PDF. Chuha is a Poem on Inspiration for young students. Share Chuha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.