वो हुस्न को जल्वा-गर करेंगे
वो हुस्न को जल्वा-गर करेंगे
आराइश-ए-बाम-ओ-दर करेंगे
हँस हँस के करेंगे चारा-साज़ी
सामान-ए-दिल-ओ-नज़र करेंगे
हम भी सर-ए-राह मुंतज़िर हैं
देखें कब इधर नज़र करेंगे
अफ़्साना-ए-ग़म तवील है दोस्त
इस बात को मुख़्तसर करेंगे
है शाम-ए-फ़िराक़ सख़्त तारीक
इस शाम की अब सहर करेंगे
अफ़्सुर्दा हैं ज़िंदगी के तेवर
कब तक यूँही हम बसर करेंगे
आएगा 'तबस्सुम' उन लबों पर
आँसू भी कभी असर करेंगे
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