तिरी महफ़िल में सोज़-ए-जावेदानी ले के आया हूँ
तिरी महफ़िल में सोज़-ए-जावेदानी ले के आया हूँ
मोहब्बत की मता-ए-ग़ैर-फ़ानी ले के आया हूँ
मैं आया हूँ फ़ुसून-ए-जज़्बा-ए-दिल आज़माने को
निगाह-ए-शौक़ की जादू-बयानी ले के आया हूँ
मैं आया हूँ सुनाने क़िस्सा-ए-ग़म सर्द आहों में
ढलकते आँसुओं की बे-ज़बानी ले के आया हूँ
मैं तोहफ़ा ले के आया हूँ तमन्नाओं के फूलों का
लुटाने को बहार-ए-ज़िंदगानी ले के आया हूँ
बयाँ जिस को किया करती थीं मेरी ना-तवाँ नज़रें
वही दर्द-ए-मोहब्बत की कहानी ले के आया हूँ
अगरचे आलम-ए-फ़ानी की हर इक चीज़ फ़ानी है
मगर में हूँ कि इश्क़-ए-जावेदानी ले के आया हूँ
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