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तिरी महफ़िल में सोज़-ए-जावेदानी ले के आया हूँ - सूफ़ी तबस्सुम कविता - Darsaal

तिरी महफ़िल में सोज़-ए-जावेदानी ले के आया हूँ

तिरी महफ़िल में सोज़-ए-जावेदानी ले के आया हूँ

मोहब्बत की मता-ए-ग़ैर-फ़ानी ले के आया हूँ

मैं आया हूँ फ़ुसून-ए-जज़्बा-ए-दिल आज़माने को

निगाह-ए-शौक़ की जादू-बयानी ले के आया हूँ

मैं आया हूँ सुनाने क़िस्सा-ए-ग़म सर्द आहों में

ढलकते आँसुओं की बे-ज़बानी ले के आया हूँ

मैं तोहफ़ा ले के आया हूँ तमन्नाओं के फूलों का

लुटाने को बहार-ए-ज़िंदगानी ले के आया हूँ

बयाँ जिस को किया करती थीं मेरी ना-तवाँ नज़रें

वही दर्द-ए-मोहब्बत की कहानी ले के आया हूँ

अगरचे आलम-ए-फ़ानी की हर इक चीज़ फ़ानी है

मगर में हूँ कि इश्क़-ए-जावेदानी ले के आया हूँ

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In Hindi By Famous Poet Sufi Tabassum. is written by Sufi Tabassum. Complete Poem in Hindi by Sufi Tabassum. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.