ये जो काली घटा छाई हुई है
ये जो काली घटा छाई हुई है
किसी की ज़ुल्फ़ लहराई हुई है
नज़र उन की भरी महफ़िल में आ कर
न-जाने किस से शर्माई हुई है
ग़ज़ब है दिलकशी हुस्न-ओ-अदा की
जवानी जोश पर आई हुई है
तुम्हारी याद भी आती नहीं अब
न जाने किस की बहकाई हुई है
हुजूम-ए-यास से तंग आ के 'रिफ़अत'
तमन्ना मेरी मुरझाई हुई है
(662) Peoples Rate This