मेरे दुख की कोई दवा न करो
मुझ को मुझ से अभी जुदा न करो
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ये सिखाया है दोस्ती ने हमें
ज़िक्र जब होगा मोहब्बत में तबाही का कहीं
कुछ तो दुनिया की इनायात ने दिल तोड़ दिया
उल्फ़त का जब किसी ने लिया नाम रो पड़े
सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैं
इश्क़ है इश्क़ ये मज़ाक़ नहीं
तेरी आँखों में हम ने क्या देखा
दिल तो रोता रहे ओर आँख से आँसू न बहे
अहल-ए-उल्फ़त के हवालों पे हँसी आती है
फ़लसफ़े इश्क़ में पेश आए सवालों की तरह
हम से पूछो न दोस्ती का सिला