हम तो समझे थे कि बरसात में बरसेगी शराब
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया
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हम से पूछो न दोस्ती का सिला
इश्क़ में ग़ैरत-ए-जज़्बात ने रोने न दिया
उल्फ़त का जब किसी ने लिया नाम रो पड़े
ये सिखाया है दोस्ती ने हमें
सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैं
फ़लसफ़े इश्क़ में पेश आए सवालों की तरह
अगर हम कहें और वो मुस्कुरा दें
दिल तो रोता रहे ओर आँख से आँसू न बहे
कुछ तो दुनिया की इनायात ने दिल तोड़ दिया
ज़िक्र जब होगा मोहब्बत में तबाही का कहीं
तेरे जाने में और आने में
मिरी ज़बाँ से मिरी दास्ताँ सुनो तो सही