सिलसिला ख़त्म कर चले आए
सिलसिला ख़त्म कर चले आए
वह उधर हम इधर चले आए
मैं ने तो आइना दिखाया था
आप क्यूँ रूठ कर चले आए
दिल ने फिर इश्क़ की तमन्ना की
राह फिर पुर-ख़तर चले आए
दूर तक कुछ नज़र नहीं आता
क्या बताएँ किधर चले आए
मैं झुका था उसे उठाने को
सब मुझे रौंद कर चले आए
ऐ 'ज़िया' दिल है भर न आए क्यूँ
क्या हुआ अश्क गर चले आए
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