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इस तरह से तर्जुमानी कर गया - सुबहान असद कविता - Darsaal

इस तरह से तर्जुमानी कर गया

इस तरह से तर्जुमानी कर गया

मेरे आशिक़ों को वो पानी कर गया

उस ने चेहरे से हटा डाला नक़ाब

वो मेरी ग़ज़ल पुरानी कर गया

रख गया वो अपने कपड़े सूखने

धूप भी कितनी सुहानी कर गया

भूल जाने की क़सम देना तेरा

याद आने की निशानी कर गया

दो घड़ी को पास आया था कोई

दिल पे बरसों हुक्मरानी कर गया

जिस पे मैं ईमान ले आया 'असद'

मुझ से वो ही बे-ईमानी कर गया

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In Hindi By Famous Poet Subhan Asad. is written by Subhan Asad. Complete Poem in Hindi by Subhan Asad. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.