आज है कुछ सबब आज की शब न जा
आज है कुछ सबब आज की शब न जा
जान है ज़ेर-ए-लब आज की शब न जा
क्या पता फिर तिरे वस्ल की साअतें
हूँ कहाँ कैसे कब आज की शब न जा
चाँद क्या फूल क्या शम्अ क्या रंग क्या
हैं परेशान सब आज की शब न जा
वक़्त को कैसे तरतीब देते हैं लोग
आ सिखा दे ये अब आज की शब न जा
वो सहर भी तुझी से सहर थी 'असद'
शब भी तुम से है शब आज की शब न जा
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