ज़िंदगी तुझ को कहीं पर तो ठहरना होगा

ज़िंदगी तुझ को कहीं पर तो ठहरना होगा

रस्म-ए-दुनिया को निभाते हुए मरना होगा

पाँव थक जाएँ बदन काँपे या दिल घबराए

जलते सहरा से हमें रोज़ गुज़रना होगा

क्या वही मौज-ए-बला क्या वही मंजधार का ख़ौफ़

ग़म के दरियाओं से अब पार उतरना होगा

छोड़ दूँ कैसे अधूरा मैं कोई काम तिरा

तेरे ख़ाके में मुझे रंग तो भरना होगा

लाख हालात तुझे करते हों मजबूर 'सिया'

टूट कर भी न कहीं तुझ को बिखरना होगा

(826) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Siya Sachdev. is written by Siya Sachdev. Complete Poem in Hindi by Siya Sachdev. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.