कुछ इस तरह से है मेरे असर में तन्हाई
कुछ इस तरह से है मेरे असर में तन्हाई
न देख पाए कोई इक नज़र में तन्हाई
निकल के घर से अकेले नहीं रहेंगे हम
हमारे साथ रहेगी सफ़र में तन्हाई
हुजूम जिस्मों का मिलता है मुस्कुराता हुआ
दिलों में झाँके तो है हर बशर में तन्हाई
मिरे वजूद के अंदर उतर गई शायद
अज़ल से फैली हुई थी जो घर में तन्हाई
मिरी तरह से कोई और भी अकेला था
पता चला जो पढ़ी इक ख़बर में तन्हाई
ख़याल आप का आता है और जाता है
कभी है बज़्म कभी लम्हा-भर में तन्हाई
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