बग़ैर साग़र ओ यार-ए-जवाँ नहीं गुज़रे

बग़ैर साग़र ओ यार-ए-जवाँ नहीं गुज़रे

हमारी उम्र के दिन राएगाँ नहीं गुज़रे

हुजूम-ए-गुल में रहे हम हज़ार दस्त दराज़

सबा-नफ़स थे किसी पर गिराँ नहीं गुज़रे

नुमूद उन की भी दौर-ए-सुबू में थी कल रात

अभी जो दौर-ए-तह-ए-आसमाँ नहीं गुज़रे

नुक़ूश-ए-पा से हमारे उगे हैं लाला ओ गुल

रह-ए-बहार से हम बे-निशाँ नहीं गुज़रे

ग़लत है हम-नफ़सो उन का ज़िंदगी में शुमार

जो दिन ब-ख़िदमत-ए-पीर-ए-मुग़ाँ नहीं गुज़रे

'ज़फ़र' का मशरब-ए-रिंदी है इक जहाँ से अलग

मिरी निगाह से ऐसे जवाँ नहीं गुज़रे

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In Hindi By Famous Poet Sirajuddin Zafar. is written by Sirajuddin Zafar. Complete Poem in Hindi by Sirajuddin Zafar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.