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जलती रहना शम-ए-हयात - सिराज लखनवी कविता - Darsaal

जलती रहना शम-ए-हयात

जलती रहना शम-ए-हयात

फिर न मिलेगी ऐसी रात

कह तो गई वो नीची निगाह

राज़ ही रखना राज़-ए-हयात

हम कुछ समझे वो कुछ और

ख़ामोशी में बढ़ गई बात

किस को सुनाएँ पूछे कौन

आह-ए-नीम-शबी की बात

रूह के मुंकिर जिस्म-परस्त

सहल नहीं इरफ़ान-ए-हयात

उफ़ ये दस्त-ए-तलब और हम

सब है वक़्त पड़े की बात

दामन से अब मुँह न छुपा

जा भी चुकी अश्कों की बरात

जिस ने न पाई अपनी पनाह

क्या देगा औरों को नजात

शेर वही है जिस में 'सिराज'

ख़ुद तड़पे रूह-ए-जज़्बात

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In Hindi By Famous Poet Siraj Lakhnavi. is written by Siraj Lakhnavi. Complete Poem in Hindi by Siraj Lakhnavi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.