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सुनो तो ख़ूब है टुक कान धर मेरा सुख़न प्यारे - सिराज औरंगाबादी कविता - Darsaal

सुनो तो ख़ूब है टुक कान धर मेरा सुख़न प्यारे

सुनो तो ख़ूब है टुक कान धर मेरा सुख़न प्यारे

कि आशिक़ पर न होना इस क़दर भी दिल कठन प्यारे

किधर हो बे-ख़बर हो क्या मगर अहवाल सीं मेरे

उधर देखो ऐ ज़ालिम ला-उबाली मन-हरन प्यारे

न कर आज़ुर्दा-ख़ातिर बुलबुल-ए-बेताब कूँ हरगिज़

ग़नीमत बूझ दो दिन की बहार ऐ मन-हरन प्यारे

फँसा है मुझ सरी का सैद आ कर दाम में तेरे

किया तू ने मगर कुछ सेहर ऐ जादू नयन प्यारे

तग़ाफ़ुल मत करो ऐ नौ-बहार-ए-गुलशन-ए-ख़ूबी

तुम्हारे बिन निपट बे-आब है दिल का चमन प्यारे

मिरे दिल की कली मुरझा रही है सरसर-ए-ग़म सें

करो टुक मुस्कुरा कर बात ऐ शीरीं-दहन प्यारे

'सिराज' अब शोला-ए-उल्फ़त में जियूँ परवाना जलता है

न जानूँ तुझ सती इस कूँ लगी है क्या लगन प्यारे

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In Hindi By Famous Poet Siraj Aurangabadi. is written by Siraj Aurangabadi. Complete Poem in Hindi by Siraj Aurangabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.