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जलव-ए-जाँ-फ़ज़ा दिखाता रह - सिराज औरंगाबादी कविता - Darsaal

जलव-ए-जाँ-फ़ज़ा दिखाता रह

जलव-ए-जाँ-फ़ज़ा दिखाता रह

दिल-ए-बे-जान कूँ जलाता रह

दिल हमारा ग़रीब-ख़ाना है

गाह गाह इस तरफ़ भी आता रह

ख़ुश्क होते हैं दम-ब-दम लब-ए-ज़ख़्म

आब शमशीर का पिलाता रह

इश्क़ आता है फ़ौज-ए-ग़म ले कर

तुझ कूँ कहता हूँ होश, जाता रह

ताकि ख़ुश होवे गुल-बदन बुलबुल

अक्सर अपनी ग़ज़ल सुनाता रह

मंसब-ए-इश्क़ है अगर तुझ कूँ

नौबत-ए-आह कूँ बजाता रह

शम्अ-रू सीं 'सिराज' जा कर बोल

कि पतिंगों कूँ मत जलाता रह

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In Hindi By Famous Poet Siraj Aurangabadi. is written by Siraj Aurangabadi. Complete Poem in Hindi by Siraj Aurangabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.