हर हर वरक़ पे क्यूँ कि लिखूँ दास्तान-ए-हिज्र
हर हर वरक़ पे क्यूँ कि लिखूँ दास्तान-ए-हिज्र
आता नहीं ज़बान-ए-क़लम पर बयान-ए-हिज्र
ज़ाहिर अगरचे ताज़ा-ओ-तर मिस्ल-ए-लाला हूँ
मुझ दिल में जानशीन है दाग़-ए-निहान-ए-हिज्र
पज़मुर्दा क्यूँ न होए गुल-ए-उम्मीद-ए-आशिक़ाँ
बहती है दिल के बाग़ में बाद-ए-ख़िज़ान-ए-हिज्र
आब-ए-हयात वस्ल सीं दे उम्र-ए-जावेदाँ
है बे-क़रार ग़म सीं तिरे नीम-जान-ए-हिज्र
वो आशिक़ी की मिस्ल में मंज़ूर है मुदाम
चिल्ले मैं ग़म के बैठ जो खींचा कमान-ए-हिज्र
नीं सैर-ए-लाला-ज़ार की आशिक़ कूँ आरज़ू
अज़-बस है दाग़-ए-सीना गुल-ए-बोसतान-ए-हिज्र
जारी ब-राह-ए-चश्म सती ख़ून-ए-दिल 'सिराज'
जब सीं मिरे जिगर में लगी है सिनान-ए-हिज्र
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