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फ़जर उठ यार का दीदार करनाँ - सिराज औरंगाबादी कविता - Darsaal

फ़जर उठ यार का दीदार करनाँ

फ़जर उठ यार का दीदार करनाँ

शब-ए-हिज्राँ का दुख इज़हार करनाँ

अगर साबित है ऐ दिल कुफ़्र में तूँ

क़यामत में यही इक़रार करनाँ

कहा यूँ खोल कर ज़ुल्फ़ों कूँ सय्याद

किसी वहशी कूँ अपना यार करनाँ

तसव्वुर में तिरे ऐ मज़हर-ए-रब

तमाशा-ए-दर-ओ-दीवार करनाँ

तुझे सौगंद अपने चाहते की

कि अपने चाहते पर प्यार करनाँ

न कहनाँ ख़ूब है तुझ ज़ुल्फ़ की बात

अबस हर तार का बिस्तार करनाँ

'सिराज' अब इश्क़ की परवानगी है

कि सैर-ए-कूचा-ओ-बाज़ार करनाँ

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In Hindi By Famous Poet Siraj Aurangabadi. is written by Siraj Aurangabadi. Complete Poem in Hindi by Siraj Aurangabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.