अश्क-ए-ख़ूनीं है शफ़क़ आज मिरी आँखों में
अश्क-ए-ख़ूनीं है शफ़क़ आज मिरी आँखों में
साँझ फूली है तिरे बाज मिरी आँखों में
एक दिन नैन झरोके की तरफ़ सीं गुज़रो
मर्दुम-ए-चश्म है मुहताज मिरी आँखों में
बैठ कर तख़्त-ए-मुरस्सा पे मिरी पुतली के
है मुबारक जो करो राज मिरी आँखों में
बाग़ में नर्गिस-ए-हैराँ ने तुझे देख कही
तेरी आँखों सी कहाँ लाज मिरी आँखों में
आज की रात अजब रात मुबारक है 'सिराज'
उस की सूरत कूँ है मेराज मिरी आँखों में
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