Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_9cb5913e6b60215064abd6ae1c6fa112, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
अमल सें मय-परस्तों के तुझे क्या काम ऐ वाइ'ज़ - सिराज औरंगाबादी कविता - Darsaal

अमल सें मय-परस्तों के तुझे क्या काम ऐ वाइ'ज़

अमल सें मय-परस्तों के तुझे क्या काम ऐ वाइ'ज़

शराब-ए-शौक़ का तू ने पिया नीं जाम ऐ वाइ'ज़

लगेगा संग-ए-ख़जलत शीशा-ए-नामूस पर तेरे

अबस हम बे-गुनाहों कूँ न कर बद-नाम ऐ वाइ'ज़

नहीं है इम्तियाज़-ए-नेक-ओ-बद चश्म-ए-हक़ीक़त में

मुझे यकसाँ हुआ है कुफ़्र और इस्लाम ऐ वाइ'ज़

नियाज़-ए-बे-ख़ुदी बेहतर नमाज़-ए-ख़ुद-नुमाई सें

न कर हम पुख़्ता-मग़्ज़ों सें ख़याल-ए-ख़ाम ऐ वाइ'ज़

कलाम-ए-नुक़्ता-ए-इल्म मुख़्तसर है सब मआनी का

बयान-ए-मंतिक़-ए-दर्सी कूँ नीं अंजाम ऐ वाइ'ज़

वो शीरीं-लब की कड़वे बोल अमृत हैं मिरे हक़ में

तुझे मालूम क्या है लज़्ज़त-ए-दुश्नाम ऐ वाइ'ज़

'सिराज' उस काबा-ए-जाँ के तसव्वुर कूँ किया सुमरन

यही विर्द-ए-सहर है और दुआ-ए-शाम ऐ वाइ'ज़

(547) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Siraj Aurangabadi. is written by Siraj Aurangabadi. Complete Poem in Hindi by Siraj Aurangabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.