आया पिया शराब का प्याला पिया हुआ
आया पिया शराब का प्याला पिया हुआ
दिल के दिए की जोत सीं काजल दिया हुआ
आया है मेरे क़त्ल पे दरपेश बे-तरह
आया है मुझ कूँ पेश वो अपना किया हुआ
मारा हुआ है ख़िज़्र-ए-मोहब्बत की तेग़ का
आब-ए-हयात-ए-शौक़ सीं तेरे जिया हुआ
बैठा है तख़्त-ए-शौक़ पे जो हो के बे-रिया
वो पादशाह-ए-बारगह-ए-किब्रिया हुआ
निकला है दिल जला के मुझ आँखों से तिफ़्ल-ए-अश्क
उस शोख़-ए-बे-जिगर का देखो क्या हिया हुआ
दिल ले गया है मुझ कूँ दे उम्मीद-ए-दिल-दही
ज़ालिम कभी तो लाएगा मेरा लिया हुआ
नहीं जब सीं पास शाहिद-ए-गुलगूँ-क़बा 'सिराज'
जी पर है तंग जिस्म का जामा सिया हुआ
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