सदा-ए-दिल को कहीं बारयाब होना था
मिरे सवाल का कुछ तो जवाब होना था
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बिखरते टूटते लम्हों में ऐसा लगता है
ज़मीं पे रहते हुए कहकशाँ से मिलते हैं
वो इतनी शिद्दतों से सोचता है
ज़िंदगी तुझ से प्यार क्या करते
क्या हमसरी की हम से तमन्ना करे कोई
कोई शिकवा कोई गिला दे दे
बेवफ़ाई का मुझे इल्ज़ाम देता था वो शख़्स
कोई महबूब सितमगर भी तो हो सकता है
दिल में तूफ़ान नहीं आँख में सैलाब नहीं
बहुत उदास है दिल जाने माजरा क्या है
तोड़े बग़ैर संग तराशे न जाएँगे