ख़ुश-जमालों की याद आती है
बे-मिसालों की याद आती है
बाइस-ए-रश्क मेहर-ओ-माह थे जो
उन हिलालों की याद आती है
जिन की आँखों में था सुरूर-ए-ग़ज़ल
उन ग़ज़ालों की याद आती है
सादगी ला-जवाब है जिन की
उन सवालों की याद आती है
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जब वो मसरूर नज़र आता है
शमीम ज़ुल्फ़-ए-यार आए न आए
शौक़ की नुक्ता-दानियाँ न गईं
बयाबानों पे ज़िंदानों पे वीरानों पे क्या गुज़री
रंग लाया दिवाना-पन मेरा
ख़ुशी याद आई न ग़म याद आए
नज़र नीची है यार-ए-ख़ुश-नज़र की
होश ओ ख़िरद से बेगाना बन जा
अहल-ए-हिम्मत को बलाओं पे हँसी आती है
कैफ़ जो रूह पे तारी है तुझे क्या मालूम
ख़ुदा शाहिद है मेरे भूलने वाले ब-जुज़ तेरे