सिदरा सहर इमरान कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सिदरा सहर इमरान
नाम | सिदरा सहर इमरान |
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अंग्रेज़ी नाम | Sidra Sahar Imran |
मुझ को तो ख़ैर ख़ाना-बदोशी ही रास थी
इस नए साल के स्वागत के लिए पहले से
तअ'ल्लुक़ की ना-जाएज़ तजावुज़ात
सड़क-छाप
सब्र-आज़मा
नक़्शा बदल चुका है
ना-ख़लफ़ मिज़ाज की मुसद्दक़ा तस्लीमात
नाकाम मुज़ाकरात
मुर्दा लोगों की तस्वीरी नुमाइश
महीने के अख़ीर दिनों में
एल-ओ-वी-ई
ख़ुद-कुशी करने का अगला मंसूबा
ख़ुदा क़हक़हा लगाता है
जनम-कदे में ना-जाएज़ आँखें
जहन्नम से पहले जहन्नम
बा-इज़्ज़त तरीक़े से जीने के जतन
वो सर्द धूप रेत समुंदर कहाँ गया
तू हर्फ़-ए-आख़िरी मिरा क़िस्सा तमाम है
सफ़र की धूप ने चेहरा उजाल रक्खा था
सफ़र के बीच वो बोला कि अपने घर जाऊँ
लकड़ी की दो मेज़ें हैं इक लोहे की अलमारी है
जागते दिन की गली में रात आँखें मल रही है
ग़मगीन बे-मज़ा बड़ी तन्हा उदास है
बे-ख़याली में कहा था कि शनासाई नहीं
असबाब-ए-हस्त रह में लुटाना पड़ा मुझे
अपनी आँखों को अक़ीदत से लगा के रख ली
आसमाँ एक किनारे से उठा सकती हूँ