Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_1a97d8638d923bd3dc62c14626409899, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
न कोई नक़्श न पैकर सराब चारों तरफ़ - सिद्दीक़ मुजीबी कविता - Darsaal

न कोई नक़्श न पैकर सराब चारों तरफ़

न कोई नक़्श न पैकर सराब चारों तरफ़

तमाम दश्त असीर-ए-अज़ाब चारों तरफ़

मसीह-ए-वक़्त अब आए तो बस ख़ुदा आए

पयम्बरों की ज़मीं और अज़ाब चारों तरफ़

मैं बीचों-बीच खड़ा हूँ सुलगते जंगल में

हिसार बाँधे हुए आफ़्ताब चारों तरफ़

हमारे नाम लिखी जा चुकी थी रुस्वाई

हमें तो होना था यूँ भी ख़राब चारों तरफ़

फ़सील-ए-दर्द से यादों की धूप ढलती हुई

बिखरते टूटते रंगों का ख़्वाब चारों तरफ़

'मुजीबी' कम नहीं 'फ़िक्री' की दोस्ती की पनाह

अगरचे दुश्मन-ए-जाँ बे-हिसाब चारों तरफ़

(627) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Siddique Mujibi. is written by Siddique Mujibi. Complete Poem in Hindi by Siddique Mujibi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.