दुख

दुख एक जंगल है घनेरा गहरा

उलझी शाख़ों के रग-ओ-पै में लरज़ते पत्ते

हर तरफ़ दूर तलक तेज़ हवा चीख़ती है

आबशार आते हैं शाएँ शाएँ

और शोलों के समुंदर बन कर

साँप लहरें हैं ज़बाँ खोलती हैं

इक पुर-असरार ख़मोशी की हर इक सम्त पुकार

हर तरफ़ दूर भी नज़दीक भी ऊपर नीचे

इक गम्भीर अँधेरा सहरा

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In Hindi By Famous Poet Siddique Kaleem. is written by Siddique Kaleem. Complete Poem in Hindi by Siddique Kaleem. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.