Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_5517a420934e152d7401e5d0dc717d41, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ग़ाज़ा तो तिरा उतर गया था - सिद्दीक़ अफ़ग़ानी कविता - Darsaal

ग़ाज़ा तो तिरा उतर गया था

ग़ाज़ा तो तिरा उतर गया था

मैं देख के ख़ुद को डर गया था

इस शहर में रास्ते का पत्थर

मैं जंगलों से गुज़र गया था

तहरीर-ए-जबीं मिटी हुई थी

तक़दीर का ज़ख़्म भर गया था

बे-नूर थी झील भी कँवल से

सूरज भी ख़ला में मर गया था

एहसास शबाब ग़म मोहब्बत

एक एक नशा उतर गया था

दिल को वो सुकूँ मिला तिरे पास

जैसे मैं नगर नगर गया था

क्या चीज़ थी बाद-ए-सुब्ह-गाही

रू-ए-गुल-ए-तर निखर गया था

हमराह थे अन-गिनत ज़माने

मैं दश्त से अपने घर गया था

नज़रों का मिलाप कौन भूले

इक सानेहा सा गुज़र गया था

इक़रार-ए-वफ़ा किया था उस ने

मैं फ़र्त-ए-ख़ुशी से मर गया था

'सिद्दीक़' चली थी तेज़ आँधी

मिट्टी का बदन बिखर गया था

(517) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Siddique Afghani. is written by Siddique Afghani. Complete Poem in Hindi by Siddique Afghani. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.