टूट कर अंदर से बिखरे और हम जल-थल हुए

टूट कर अंदर से बिखरे और हम जल-थल हुए

तुझ से जब बिछड़े तो इतना रोए हम बादल हुए

थे कभी आबाद जो ज़ख़्मों के फूलों से यहाँ

देखना वो शहर इस मौसम में सब जंगल हुए

धूप से महरूमियों की थे हिरासाँ लोग सब

रूह के आज़ार से कुछ और भी पागल हुए

जिन से वाबस्ता थी 'शबनम' ज़िंदगी की हर ख़ुशी

आह कैसे लोग थे नज़रों से जो ओझल हुए

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In Hindi By Famous Poet Siddiqa Shabnam. is written by Siddiqa Shabnam. Complete Poem in Hindi by Siddiqa Shabnam. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.