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आज बेचैन है बीमार ख़ुदा ख़ैर करे - बाबू सि द्दीक़ निज़ामी कविता - Darsaal

आज बेचैन है बीमार ख़ुदा ख़ैर करे

आज बेचैन है बीमार ख़ुदा ख़ैर करे

याद आता है रुख़-ए-यार ख़ुदा ख़ैर करे

अब नहीं ख़ैर किसी साहिब-ए-दिल की ऐ दोस्त

आज है हाथ में तलवार ख़ुदा ख़ैर करे

कौन होगा जिसे मैं अपना कहूँगा ऐ दिल

रूठे जाते हैं वो ग़म-ख़्वार ख़ुदा ख़ैर करे

वही जो इश्क़ में मसरूफ़ भी मसरूर भी था

वही 'सिद्दीक़' है बेज़ार ख़ुदा ख़ैर करे

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In Hindi By Famous Poet Siddiq Ahmad Nizami. is written by Siddiq Ahmad Nizami. Complete Poem in Hindi by Siddiq Ahmad Nizami. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.