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लहू में डूब के तलवार मेरे घर पहुँची - सिब्त अली सबा कविता - Darsaal

लहू में डूब के तलवार मेरे घर पहुँची

लहू में डूब के तलवार मेरे घर पहुँची

वो सर-बुलंद हूँ दस्तार मेरे घर पहुँची

पहाड़ खोदा तो जुज़ पत्थरों के कुछ न मिला

मिरे पसीने की महकार मेरे घर पहुँची

शजर ने तुंद हवाओं से दोस्ती कर ली

शिकस्ता पत्तों की बौछार मेरे घर पहुँची

मिरे मकान से किरनों की डार ऐसी उड़ी

हर इक बला-ए-पुर-असरार मेरे घर पहुँची

मिरे पड़ोस में टूटे ज़रूफ़ शीशों के

चहार सम्त से झंकार मेरे घर पहुँची

पतंग टूट के आँगन के पेड़ में उलझी

शरीर बच्चों की यलग़ार मेरे घर पहुँची

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In Hindi By Famous Poet Sibt Ali Saba. is written by Sibt Ali Saba. Complete Poem in Hindi by Sibt Ali Saba. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.