जब समाअ'त ही न हो उस की तो है बेकार शरह

जब समाअ'त ही न हो उस की तो है बेकार शरह

क्या करूँ दिलबर मैं तुझ से अपना हाल-ए-ज़ार शरह

दम-ब-ख़ुद हूँ कुछ नहीं कहता हूँ रोब-ए-हुस्न से

चुप खड़ा हूँ हाल अपना करते हैं अग़्यार शरह

दिल में है उस रश्क-ए-यूसुफ़ की ख़रीदारी का शौक़

मेरे राज़-ए-इश्क़ की अब है सर-ए-बाज़ार शरह

नोश-ए-दारू-ए-शिफ़ा समझे जो मर्ग-ए-इश्क़ को

क्या मसीहा से करे दर्द अपना वो बीमार शरह

वस्फ़ चश्म-ए-यार का सुन कर मरीज़-ए-इश्क़ ने

क्यूँ किया था मैं ने पेश-ए-नर्गिस-ए-बीमार शरह

माह-ए-कनआँ शेफ़्ता उस पर हो भर कर आह-ए-सर्द

हुस्न-ए-जानाँ की करूँ जो गर्मी-ए-बाज़ार शरह

क्या ज़बाँ से वो कहे क्या हो दवा का ख़्वास्त-गार

दर्द-ए-दिल करती है तुझ से जिस की शक्ल-ए-ज़ार शरह

ना-तवानी से मुझे यारा-ए-गोयाई नहीं

हाल सोज़-ए-दिल करेगी आह-ए-आतिश-बार शरह

ग़ैर मुमकिन है तिरा अग़्यार से इजरा-ए-कार

हाजत-ए-दिल 'बर्क़' कर चल कर तू पेश-ए-यार शरह

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In Hindi By Famous Poet Shyam Sunder Lal Barq. is written by Shyam Sunder Lal Barq. Complete Poem in Hindi by Shyam Sunder Lal Barq. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.