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बे-सबब वो न मिरे क़त्ल की तदबीर में था - शऊर बलगिरामी कविता - Darsaal

बे-सबब वो न मिरे क़त्ल की तदबीर में था

बे-सबब वो न मिरे क़त्ल की तदबीर में था

उस के हाथों ही से मिटना मिरी तक़दीर में था

मुंतज़िर था तिरा दीवाना-ए-गेसू जिस रात

आलम-ए-चश्म हर इक हल्क़ा-ए-ज़ंजीर में था

जुम्बिश-ए-लब का गुमाँ होता था आशिक़ को तिरे

इस क़दर लुत्फ़-ए-ख़मोशी तिरी तस्वीर में था

ओ कमाँ-अबरू जो इक तीर लगाया तो क्या

इश्तियाक़ इस से ज़्यादा दिल-ए-नख़चीर में था

मुर्ग़-ए-बिस्मिल सा तड़पता था हर इक मुर्ग़-ए-सहर

असर-ए-तीर मिरे नाला-ए-शब-गीर में था

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In Hindi By Famous Poet Shuoor Balgirami. is written by Shuoor Balgirami. Complete Poem in Hindi by Shuoor Balgirami. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.