ज़िंदगी भर ज़िंदा रहने की यही तरकीब है
उस तरफ़ जाना नहीं बिल्कुल जिधर की सोचना
Mir Taqi Mir
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रिंद खड़े हैं मिम्बर मिम्बर
उस को न ख़याल आए तो हम मुँह से कहें क्या
ख़ुदा ने चाहा तो सब इंतिज़ाम कर देंगे
सभी ज़िंदगी पे फ़रेफ़्ता कोई मौत पर नहीं शेफ़्ता
शिद्दत-ए-इंतिज़ार काम आई
औरों से पूछिए तो हक़ीक़त पता चले
सातों आलम सर करने के बा'द इक दिन की छुट्टी ले कर
तंहाई का इक और मज़ा लूट रहा हूँ
कहाँ कहाँ है ख़ुदा जाने राब्ता दिल का
उस के आने पे भी नहीं आई
'शुजा' मौत से पहले ज़रूर जी लेना
तभी आएगी लबों पर मिरे दिल की बात खुल के