ये दुनिया-दारी और इरफ़ान का दावा 'शुजा-ख़ावर'
मियाँ इरफ़ान हो जाए तो दुनिया छोड़ देते हैं
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Anwar Masood
Rahat Indori
Javed Akhtar
Habib Jalib
Wasi Shah
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(734) Peoples Rate This
गरचे बादल पानी बरसाता हुआ घर घर फिरा
हम सूफ़ियों का दोनों तरफ़ से ज़ियाँ हुआ
उस के बयान से हुए हर दिल अज़ीज़ हम
तभी आएगी लबों पर मिरे दिल की बात खुल के
ख़ुद फ़रिश्ते तो नहीं हैं जो मुझे ले जा रहे हैं
दश्त को जा तो रहे हो सोच लो कैसा लगेगा
दो चार नहीं सैंकड़ों शेर उस पे कहे हैं
ज़िंदगी भर ज़िंदा रहने की यही तरकीब है
या तो जो ना-फ़हम हैं वो बोलते हैं इन दिनों
पहले हुआ जो करते थे हम वो नहीं रहे
हालात न बदलें तो इसी बात पे रोना
घर में बेचैनी हो तो अगले सफ़र की सोचना