सातों आलम सर करने के बा'द इक दिन की छुट्टी ले कर
घर में चिड़ियों के गाने पर बच्चों की हैरानी देखो
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शिद्दत-ए-इंतिज़ार काम आई
जो ज़िंदा हो उसे तो मार देते हैं जहाँ वाले
जिन को क़ुदरत है तख़य्युल पर उन्हें दिखता नहीं
जो तुम से पहले आए थे उन की कारिस्तानी देखो
बरपा तिरे विसाल का तूफ़ान हो चुका
करम है मुझ पे किसी और के जलाने को
दश्त को जा तो रहे हो सोच लो कैसा लगेगा
ख़ुद फ़रिश्ते तो नहीं हैं जो मुझे ले जा रहे हैं
दिलों में फ़र्क़ है तो गुफ़्तुगू से कुछ नहीं होगा
चारागरी की बात किसी और से करो
चेहरे पे थोड़ी रक्खी है
उस बेवफ़ा का शहर है और वक़्त-ए-शाम है