सभी ज़िंदगी पे फ़रेफ़्ता कोई मौत पर नहीं शेफ़्ता
सभी सूद-ख़ोर तो हो गए हैं कोई पठान नहीं रहा
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Parveen Shakir
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Gulzar
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दर्द जाएगा तो कुछ कुछ जाएगा पर देखना
रखते हैं अपने ख़्वाबों को अब तक अज़ीज़ हम
दिलों में फ़र्क़ है तो गुफ़्तुगू से कुछ नहीं होगा
सब का ही नाम लेते हैं इक तुझ को छोड़ कर
दूसरी बातों में हम को हो गया घाटा बहुत
इस ए'तिबार से बे-इंतिहा ज़रूरी है
उस के आने पे भी नहीं आई
दोस्त का घर और दुश्मन का पता मालूम है
कुछ नहीं बोला तो मर जाएगा अंदर से 'शुजाअ'
रुख़ हवा का ये कि जैसे उस को आसानी पड़े
उस बेवफ़ा का शहर है और वक़्त-ए-शाम है
चारागरी की बात किसी और से करो