सब का ही नाम लेते हैं इक तुझ को छोड़ कर
ख़ासा शुऊर है हमें वहशत के बावजूद
Wasi Shah
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Rahat Indori
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Anwar Masood
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विज्दान में वो आया इल्हाम हुआ मुझ को
उस को न ख़याल आए तो हम मुँह से कहें क्या
उस के बयान से हुए हर दिल अज़ीज़ हम
मेरा दिल हाथों में लो तो क्या तुम्हारा जाएगा
निकाल ज़ात से बाहर निकाल तन्हाई
ख़ुदा को आज़माना चाहिए था
हम सूफ़ियों का दोनों तरफ़ से ज़ियाँ हुआ
दर्द जाएगा तो कुछ कुछ जाएगा पर देखना
क़लम में ज़ोर जितना है जुदाई की बदौलत है
पार उतरने के लिए तो ख़ैर बिल्कुल चाहिए
दश्त को जा तो रहे हो सोच लो कैसा लगेगा
दूसरी बातों में हम को हो गया घाटा बहुत