मिरे हालात को बस यूँ समझ लो
परिंदे पर शजर रक्खा हुआ है
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उस बेवफ़ा का शहर है और वक़्त-ए-शाम है
दिल में नफ़रत हो तो चेहरे पे भी ले आता हूँ
आप इधर आए उधर दीन और ईमान गए
निकाल ज़ात से बाहर निकाल तन्हाई
विज्दान में वो आया इल्हाम हुआ मुझ को
दूसरी बातों में हम को हो गया घाटा बहुत
उस के आने पे भी नहीं आई
बरपा तिरे विसाल का तूफ़ान हो चुका
अब तेरे लिए हैं न ज़माने के लिए हैं
या तो जो ना-फ़हम हैं वो बोलते हैं इन दिनों
दिल की बातें दूसरों से मत कहो लुट जाओगे