जो ज़िंदा हो उसे तो मार देते हैं जहाँ वाले
जो मरना चाहता हो उस को ज़िंदा छोड़ देते हैं
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सर्दी भी ख़त्म हो गई बरसात भी गई
करम है मुझ पे किसी और के जलाने को
दो चार नहीं सैंकड़ों शेर उस पे कहे हैं
दोस्त का घर और दुश्मन का पता मालूम है
मैं ने सिर्फ़ अपने नशेमन को सजाया साल भर
उस के आने पे भी नहीं आई
रिंद खड़े हैं मिम्बर मिम्बर
मिरे हालात को बस यूँ समझ लो
दूसरी बातों में हम को हो गया घाटा बहुत
रुख़ हवा का ये कि जैसे उस को आसानी पड़े
या तो जो ना-फ़हम हैं वो बोलते हैं इन दिनों