दिल की बातें दूसरों से मत कहो लुट जाओगे
आज कल इज़हार के धंधे में है घाटा बहुत
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दश्त को जा तो रहे हो सोच लो कैसा लगेगा
सब का ही नाम लेते हैं इक तुझ को छोड़ कर
ख़ुद फ़रिश्ते तो नहीं हैं जो मुझे ले जा रहे हैं
गरचे बादल पानी बरसाता हुआ घर घर फिरा
मैं ने सिर्फ़ अपने नशेमन को सजाया साल भर
औरों से पूछिए तो हक़ीक़त पता चले
मिरे हालात को बस यूँ समझ लो
करम है मुझ पे किसी और के जलाने को
या तो जो ना-फ़हम हैं वो बोलते हैं इन दिनों
हज़ार रंग में मुमकिन है दर्द का इज़हार
ख़ुदा को आज़माना चाहिए था
तकल्लुफ़ छोड़ कर मेरे बराबर बैठ जाएगा