दर्द जाएगा तो कुछ कुछ जाएगा पर देखना
चैन जब जाएगा तो सारा का सारा जाएगा
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चारागरी की बात किसी और से करो
लोगों ने हम को शहर का क़ाज़ी बना दिया
अब तेरे लिए हैं न ज़माने के लिए हैं
पार उतरने के लिए तो ख़ैर बिल्कुल चाहिए
रखते हैं अपने ख़्वाबों को अब तक अज़ीज़ हम
'शुजा' मौत से पहले ज़रूर जी लेना
तंहाई का इक और मज़ा लूट रहा हूँ
दिलों में फ़र्क़ है तो गुफ़्तुगू से कुछ नहीं होगा
इस ए'तिबार से बे-इंतिहा ज़रूरी है
तंगी-ए-हैअत से टकराता हुआ जोश-ए-मवाद
दिन के पास कहाँ जो हम रातों में माल बनाते हैं
शिद्दत-ए-इंतिज़ार काम आई