तभी आएगी लबों पर मिरे दिल की बात खुल के
तभी आएगी लबों पर मिरे दिल की बात खुल के
मिरी ज़ात से मिले जब तिरी काएनात खुल के
मिरा इश्क़ है बस इतना कि जगाएँ कोई फ़ित्ना
तिरे होंट बंद हो के मिरी ख़्वाहिशात खुल के
मुझे बाँध कर जिन्हों ने सर-ए-ताक़ रख दिया है
कभी ख़ुद बयाँ करूँगा मैं वो सब निकात खुल के
ये जो आज बस्ता बस्ता सा अदू के रख़्त में है
यही गुल-बदन मिला था कभी पूरी रात खुल के
बड़ी बे-मज़ा गुज़ारी है ज़माना-साज़ियों ने
न अदावतें निभाईं न तअल्लुक़ात खुल के
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