जो क़िस्सा था ख़ुद से छुपाया हुआ
वो था शहर भर को सुनाया हुआ
मुख़ालिफ़ से सुल्ह-ओ-सफ़ाई जो की
कई दोस्तों का सफ़ाया हुआ
जो महफ़िल में पहचानता तक न था
तसव्वुर में बैठा है आया हुआ
हर इक ज़ख़्म जाएगा मेरे ही साथ
नमक सब ने है मेरा खाया हुआ
नज़र आ रहा है जो वो आसमाँ
ये है मेरे रब का बनाया हुआ